
राजीव गांधी
पहले तो मैं ये तीन दिन का दौरा लगा रहा था। जम्मू, कश्मीर, लद्दाख का, जिसमें मैं देखूं कि क्या मुश्किलें हैं, क्या कठिनाइयां हैं और आप कैसे सामना करते हैं। इ़त्तिफ़ाक से ऐसे बर्फ पड़ गयी तो असली कठिनाई, असली मुश्किल ये दिखाई दी कैसी है। हम बर्फ के बावजूद भी कोशिश कर रहे हैं कि घूमकर देखें आप तक पहुंचकर देखें कि कैसा आपको करना पड़ता है। पहले दिन जम्मू में हमारी बातचीत हुई थी। केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ, हमारे सचिवों के साथ और जम्मू-कश्मीर सरकार के मंत्रियों के साथ और उनके सचिवों के साथ और हमने एक हमारे हिसाब से, हम दोनों के हिसाब से एक बहुत बढ़िया पैकेज बनाया है, मिला-मिलूकर क्योंकि एक-दो चीज़ों के बारे में मैंने पहले ही कह दिया था, जब समझौता हुआ था और दो पब्लिक मीटिंग हुईं थीं, उनको मिलाकर, अगर हम देखें तो क़रीब हज़ार करोड़ का पैकेज बनता है। कश्मीर में शुरू से हर मज़हब और धर्म के बीच में एकता रही है, पूरे देश के लिये एक मिसाल है और हमारी पूरी उम्मीद है कि आप ये मिसाल को और मज़बूत करेंगे और यहां से देश के कोने-कोने तक पहुंचाएंगे।



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श्री राजीव गांधी
भारत के युवतम प्रधानमंत्री राजीव गांधी को देश आज भी तहेदिल से याद करता है कि उन्होंने इक्कीसवीं सदी में भारत को पूरे आत्मविश्वास के साथ ले जाने का स्वप्न देखा। राजनीति में आने के अनिच्छुक राजीव गांधी ने अपना केवल एक कार्यकाल ही प्रधानमंत्री के बतौर गुज़ारा लेकिन देश पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया उनके ही समय में शुरू हुई थी और उन्होंने ही विकास की कई परियोजनाएं आरम्भ कीं, जिन्हें हम आज नेशनल मिशन्स के रूप में जानते हैं। राजीव गांधी ने ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की भावना को गति दी और लाखों भारतीय युवकों में तकनीक के प्रति उत्साह भरा। उनके द्वारा परिकल्पित टेलीकॉम मिशन ने भारत में सूचना और संचार-क्रांति की आधारशिला रखी। भारतीय समाज में ‘राजीव युग’ को युगांतरकारी माना जायेगा। |
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राजीव – फूलवालों की सैरराजीव - स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संदेश राजीव - बज्म: इनागुरेशन ऑफ़ उर्दू कंप्यूटर बी श. राजीव गाँधी |
जीवन-वृत्त
1944, August 20
Birth of Rajiv Gandhi in Mumbai
1945
Rajiv, along with his mother Indira Gandhi, went to Anand Bhavan in Allahabad
1946, December 14
Birth of younger brother Sanjay Gandhi
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